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Inside Story : जानिए कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने क्यों ज्वाइन की BJP, किस तरह कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला ने बनाई कांग्रेस को तोडने की योजना

सोमवार को इंदौर में बड़ा राजनीतिक तख्तापलट देखने को मिली। जो कैलाश विजयवर्गीय लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी घोषणा के पहले शंकर लालवानी को टिकट देने के खिलाफ नजर आ रह थे। अब वही कैलाश विजयवर्गीय शंकर लालवानी के लिए लोकसभा चुनाव की पिच पर बल्लेबाजी कर रहे हैं और उनको जिताने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रहे हैं। उन्होंने इसी कड़ी में कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम से पहले कलेक्टर अपना नामांकन वापस दिलवाया और फिर तुरंत BJP ज्वाइन कराई। इसी बीच सवाल उठ रहा है कि आखिर आखिर क्यों कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने भाजपा(BJP) ज्वाइन की। किस तरह कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला ने बनाई कांग्रेस को तोडने की योजना।  आईये जानते इस पूरे खेल की इनसाइड स्टोरी।

नाम वापसी के बाद शुरू कर दी थी तैयारी

इंदौर में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पहले ही कोई कांग्रेस प्रत्याशी नहीं मिल रहा था। लेकिन फिर अक्षय कांति बम का नाम सामने आया। नाम आने के बाद ही भाजपा(BJP) के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला सक्रिय हो गए थे। इसी कड़ी में सबसे पहले उन्होंने अपने कुछ करीबी वकीलों को इसमें लगाया और अक्षय कांति बम के पुराने केस खंखाले को कहा। इसमें उनको सफलता भी मिली।

नामांकन के बाद निकला था 17 साल पुराना केस

दरअसल एक सिक्योरिटी एजेंसी को कांतिलाल बम व अक्षय बम ने यूनुस पटेल की जमीन खाली कराने का ठेका दिया था। मौके पर गोलीबारी में एक गोली यूनुस के कान को छूते हुए निकल गई थी। यह मामला करीब 17 साल पुराना है। फरियादी द्वारा उनके खिलाफ धाराएं बढ़ाए जाने की अर्जी कोर्ट 5 के समक्ष दायर की गई थी कोर्ट ने धारा 307 बढ़ाते हुए बम को हाजिर होने के आदेश दिए था। आगामी 10 मई को उन्हें न्यायालय के समक्ष पेश होना है।

BJP ज्वाइन करने के ये कारण भी थे

वही कुछ सूत्रों के अनुसार, इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे अक्षय कांति बम कांग्रेस के बड़े नेताओं की लूट -खसोट और असहयोग से खिन्न थे। इसके अलावा हारे हुए प्रत्याशियों द्वारा लाखों रुपयों की मांग की जा रही थी साथ ही कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं को इंदौर नहीं आने देना नाराज़गी का कारण बना। अक्षय बम इंदौर 4 से दावेदारी के वक़्त रुपये लेकर टिकिट बेचने से भी नाराज़ हुए थे।

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