Sat. Apr 27th, 2024

प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों पर लगातार लगाम लगा रही मोहन सरकार, CM बोले स्कूलों की नहीं चलेगी मनमानी

सीएम डॉ मोहन यादव (CM Dr Mohan Yadav) ने कहा कि प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिवाकों पर विशेष दुकान से पुस्तकें और यूनिफॉर्म खरीदने पर कोई बाध्यता नहीं रहेगी। ऐसा करने वाले प्रदेश के स्कूलों पर कार्यवाही कि जाएगी।

Uniform और पुस्तकों के नाम पर लुट होगी बंद

सीएम ने कहा कि नए शिक्षण में सत्र किसी विशेष दुकान से पुस्तक और यूनिफॉर्म लेने की बाध्यता नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हो रही लूट अब नहीं होने देंगे इसीलिए हमारी सरकार ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं। वे अपनी मर्जी की दुकान से कॉपी-किताब और गणवेश खरीद सकेंगे और किसी विशेष दुकान से इसे खरीदने की बाध्‍यता नहीं होगी। साथ ही उन्‍होंने अपने एक्‍स हैंडल पर निजी विद्यालयों में किताबों व गणवेश के नाम पर हो रही लूट को खत्म करने की बात कही है।

MP में निजी स्कूलों द्वारा बच्चो और उनके पैरेंट्स पर दबाव बनाने पर लग सकता है 2 लाख रुपये तक का जुर्माना

CM Mohan Yadav ने निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए नए शिक्षा सत्र में आदेश जारी किया है कि अगर स्कूलों द्वारा किसी एक दुकान से सामग्री ख़रीदने के लिए दबाव बनाया जाता है तो स्कूल पर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

Bhopal लोक शिक्षण विभाग ने 1 अप्रिल से शुरू हो रहे शिक्षा सत्र के लिए नए आदेश जारी किए हैं। अपने आदेश में सीएम यादव ने निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाते हुए है कहा कि प्रदेश का कोई भी स्कूल अगर किसी खास दुकान से कॉपी पुस्तक और यूनिफॉर्म लेने के लिए दबाव बनाता है, तो स्कूल पर 2 लाख का जुर्माना लगाया जाएगा।

सोशल मीडिया पर दी जानकारी

सीएम ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “मेरे संज्ञान में आया है कि कुछ निजी स्कूलों द्वारा पालकों को कोर्स की किताबें, यूनिफार्म और अन्य शिक्षण सामग्री किसी निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जो कि उचित नहीं है।
मैंने इस सम्बन्ध में कार्रवाई करने के लिए मुख्य सचिव को निर्देश दिये हैं। स्कूल शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनिमियन) नियम 2020 के तहत प्रथम बार शिकायत प्राप्त होने पर स्कूल संचालक पर ₹2 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा।”

मुख्य सचिव को कहा ऐसे स्कूलों पर त्वरित कार्यवाही हो

मुख्यमंत्री एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं, उन्होंने मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि अगर कोई मनमानी का मामला सामने आता है तो ऐसे स्कूलों पर कार्यवाही करें।

पहले भी जारी हो चुके ऐसे आदेश

इसी तरह के आदेश पहले भी सरकार द्वारा जारी किए गए हैं परंतु उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाया है, इसीलिए एक बार फिर से सरकार ने यह आदेश जारी किया है।

MP में नहीं चलेगी निजी स्कूलों की मनमानी, सरकार को देनी होगी फीस की जानकारी

फीस, पाठ्यक्रम, यूनिफॉर्म, किताब और कॉपी कि सूची को 31 मार्च तक माध्यमिक शिक्षा मंडल को उपलब्ध कराने का फरमान सभी निजी स्कूलों के लिए जारी कर दिया गया है।

भोपाल माध्यमिक शिक्षा मंडल: प्रदेश में आए दिन प्राइवेट स्कूलों की तानाशाही की शिकायतें मिलती रहती हैं। जिस पर रोक लगाने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल ने कड़े कदम उठाए हैं। शिक्षा मंडल के जारी आदेश में कहा गया है कि 31 मार्च तक प्रेदेश के सभी निजी स्कूलों को फीस, अन्य शुल्क, यूनिफॉर्म, किताबों की सूची अपने जिला शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध करानी होगी।

31 मार्च तक दे सकते हैं जानकारी

भोपाल संभाग के संयुक्त संचालक अरविंद कुमार चौरगड़े ने जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं कि जिले में सभी माध्यमिक शिक्षा मंडल के निजी स्कूल, सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड के स्कूल प्री-प्रायमरी, पहली से लेकर 12वीं कक्षा में चलाई जाने वाली किताबें व कापियों की सूची व यूनिफार्म की जानकारी 31 मार्च तक उपलब्ध कराएं।

जानकारी स्कूल वेबसाइट पर भी डालना जरुरी

जारी आदेश में कहा गया है कि स्कूल के सूचना पटल पर प्रदर्शित करते हुए स्कूल की वेबसाइट पर भी अपलोड की जाए जानकारी। इसकी एक सूची जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय (डीइओ) में भी मंगवाएं।

संयुक्त संचालक अरविंद कुमार ने कहा स्कूलों की मनमानी के कारण कदम उठाए हैं जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि किसी एक विक्रेता का एकाधिकार न हो। साथ ही जिन स्कूलों ने बिना पाठ्यक्रम परिवर्तित किए हुए, पिछले वर्ष की प्रचलित किताबों व प्रकाशकों को परिवर्तित किया है।

इंदौर में 2 लाख 40 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स की नहीं आयी स्काॅलरशिप, स्कूल प्रबंधन और शिक्षा की गलतियों का खामियाजा भुगत रहे स्टूडेंट्स

सरकारी स्कूलों के जिम्मेदारों की लापरवाही और पोर्टल के सही तरीके से काम नहीं करने के चलते इंदौर जिले के 2.40 लाख से अधिक विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप अटक गई है। 2023-24 का सत्र खत्म होने को है और अब तक पहली से 12वीं तक के आरक्षित वर्ग के स्टूडेंट्स के खातों में एक रुपए भी स्कॉलरशिप के जमा नहीं हुए हैं। जबकि सरकार इसके लिए 17 लाख 77 हजार रुपए से अधिक की राशि स्वीकृत भी कर चुका है। विभागीय लापरवाही और तकनीकी खामी के चलते छात्रों के परिजनों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्कॉलरशिप के लिए कागजी प्रक्रिया फरवरी की शुरुआत तक पूरी होना थी, जो अब भी अधूरी है। अब 15 मार्च अंतिम तिथि बताई गई है। यदि इस तारीख तक सभी की जानकारी पूरी नहीं दी जाती है तो सभी की स्काॅलरशिप अटक जाएगी।

नए पोर्टल पर नहीं बन रही प्रोफाइल

9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए इस साल प्रदेश सरकार ने टीएसएस पोर्टल (एमपी ट्राइबल अफेयर्स एंड शेड्यूल कास्ट वेलफेयर ऑटोमेशन सिस्टम) बनाया है। इस पर एक बार अकाउंट बनाने के बाद हर साल छात्रों को अकाउंट नहीं बनाना होगा। लेकिन इस नए पोर्टल पर जिले के 9वीं से 12वीं तक के 47 हजार 111 स्टूडेंट्स में से महज 19 हजार 463 की ही प्रोफाइल बनी है। सिर्फ 10 हजार 566 ने स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई किया है। उनमें भी विभाग ने 9 हजार 478 प्रोफाइल वेरिफाई कर अप्रूव्ड किया है।

समग्र पोर्टल नहीं कर रहा काम

1 से 8वी तक स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप समग्र पोर्टल अपडेट हो रही हो, लेकिन उनकी स्कॉलरशिप की प्रक्रिया भी बेहद धीमी है। पोर्टल पर 2 लाख 28 हजार 518 की प्रोफाइल अप्रूव्ड हो सकी है। लेकिन उनके खाते में अब तक कोई पैसा ट्रांसफर नहीं हो सका है।

स्कूलों की लापरवाही भी बड़ी वजह

स्कॉलरशिप नहीं मिलने के पीछे बड़ी वजह सरकारी स्कूलों की लापरवाही है। कई छात्रों के खाते नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से नहीं जोड़े गए हैं। कुछ खाते पुराने और लेनदेन न होने कारण बंद हैं। वहीं किसी के समग्र आईडी, जाति प्रमाण पत्र एवं आधार कार्ड में जन्मतिथि का नहीं मिलाना नहीं किया गया है। स्कूलों की जिम्मेदारी है कि बैंकों से समन्वय कर खातों को लिंक कराएं, लेकिन ऐसा नहीं किया गया ।

वही इसको शहर के जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास ने कहा कि पोर्टल नहीं चलने के कारण स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप अटकी हुई है। कई स्कूलों ने समय पर दस्तावेज भी पूरे नहीं किए गए, उससे भी देरी हो रही है। इसे लेकर तेजी से काम किया जा रहा है। भोपाल से स्वीकृति मिलते ही जल्दी स्टूडेंट्स के खातों में स्कॉलरशिप की राशि डाली जाएगी।

स्कूलों में सप्ताह में एक दिन ‘नो’ बैग डे, होमवर्क के लिए भी समय तय

मध्य प्रदेश सरकार में स्कूली बच्चों के बैग के वजन को कम करने के लिए लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने स्कूल बैग पॉलिसी-2020 का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है। इसके अनुसार स्कूल को सप्ताह में एक दिन बिना बैग के स्कूल बुलाना होगा। और दूसरी कक्षा तक के बच्चों को होम वर्क नहीं दिया जाएगा। ये दिशा निर्देश सभी सरकारी और निजी स्कूलों पर लागू होंगे।

बच्चों के बैग का वजन फिक्स

इस पॉलिसी के अनुसार पहली और दूसरी कक्षा में बच्चों के बैग के अधिकतम वजन की सीमा 2.2 किलो से ज्यादा नहीं होगी। तीसरी से पांचवी कक्षा तक अधिकतम वजन सीमा ढाई किलो, छठी और सातवीं कक्षा के लिए अधिकतम तीन किलो, छठी और सातवीं कक्षा के लिए अधिकतम तीन किलो, आठवीं कक्षा के लिए चार किलो, 9वीं और 10वीं के लिए साढ़े चार किलो और 11वीं और 12वीं के बैग के वजन की सीमा प्रबंधन समिति तय करेगी। वे हर तीन माह में स्कूलों में औचक निरीक्षण कर जांच भी करेंगे। इन दिशा निर्देशों का पालन नहीं होने पर कार्रवाई की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की होगी

गाइडलाइन चस्पा करना अनिवार्य

स्कूलों को अभिभावकों को भी बैग पॉलिसी की जानकारी देना होगी। इसके साथ ही होमवर्क के लिए भी समय तय किया गया है। स्कूल बैग पॉलिसी के अनुसार स्कूल को तीसरी से पांचवीं तक के बच्चों को सप्ताह में सिर्फ दो घंटे, छठी से आठवीं तक के बच्चों को प्रतिदिन एक घंटे और नौवीं से 12 वीं तक विद्यार्थियों को प्रतिदिन सिर्फ दो घंटे का होमवर्क दिया जा सकेगा। जारी दिशा निर्देशों के अनुसार स्कूलों को बैग पॉलिसी के निर्देशों को नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना होगा। साथ ही अभिभावकों को भी बैग पॉलिसी की जानकारी देना होगी। जारी दिशा निर्देशों के अनुसार स्कूलों को बैग पॉलिसी के निर्देशों को नोटिस बोर्ड पर चस्पा भी करना होगा।