अब मध्यप्रदेश में सरकारी अधिकारी बनने के लिए पढ़ना होगा जनजातीय विकास के बारे में, एमपीपीएससी ने अपने सिलेबस में किया बदलाव
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने जनवरी में नए सिलेबस को जारी किया था। इसके अनुसार मप्र में अब यदि अधिकारी बनना है तो फिर यहां के जनजातीय समाज को बेहतर तरीके से समझना होगा। मप्र की 21 प्रतिशत आबादी जनजातीय श्रेणी में आती है। जनजातीय संस्कृति,महापुरुष, साहित्य आदि को सिलेबस में शामिल किया गया है।
Mppsc प्री और मेन्स दोनों में ही जनजातीय समाज को महत्व
चूंकी प्रदेश की 21% जनसंख्या इस श्रेणी में आती है। इसलिए इसे विशेष ध्यान में रखते हुए नया सिलेबस बनाया गया है। स्टूडेंट्स सिलेबस में जनजातीय वर्ग की बेहतर जानकारी रखेंगे तो भविष्य में अधिकारी बनने पर उन्हें मैदान में काम करने में आसानी होगी।
आयोग ने जनवरी 2024 में नए सिलेबस को जारी किया था। इसके अनुसार मप्र में अब यदि अधिकारी बनना है तो फिर यहां के जनजातीय समाज को बेहतर तरीके से समझना होगा। एमपीएससी प्री और मेन्स दोनों में ही जनजातीय समाज को बहुत अधिक महत्व दिया गया है।
क्या जुड़ा नए सिलेबस में ?
नए सिलेबस में प्री में पूरा एक चैप्टर ही जनजातीय समाज पर है वहीं अन्य चैप्टर में जनजातीय विषयों को जोड़ा गया है। इसमें जनजाति समाज की बोलियां, प्रमुख व्यक्तित्व, विरासत, लोकसंस्कृत्ति, लोक साहित्य, भौगोलिक विस्तार, संवैधानिक प्रावधान, विशेष जनजातियां, साहित्य, स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका, लोक संस्कृति जैसे कई पहलू शामिल किए गए हैं।
वहीं मेन्स के पहले प्रश्नपत्र में इतिहास और भूगोल है। इसमें मप्र के जनजातीय नायकों के संघर्ष और इतिहास का अलग पूरा चैप्टर रखा गया है। इसी तरह विविध उनके संवैधानिक प्रावधान, उनकी भूमिका जैसे चैप्टर भी सिलेबस में जोड़े गए है।