Fri. Oct 11th, 2024

मप्र उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किया नया फरमान, अब स्टूडेंट्स काॅलेज में नहीं पहनकर जा सकेंगे ये ड्रेस

मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने काॅलेज के स्टूडेंट्स के लिए एक नया फरमान जारी किया है। जिसके तहत अब स्टूडेंट्स काॅलेज जींस और टी शर्ट पहनकर काॅलेज नहीं जा सकेंगस। विभाग के अनुसार, सरकारी कॉलेजों में यूनिफॉर्म के लागू होने का निर्णय की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो छात्र-छात्राओं के बीच एकरूपता और समानता की भावना को बढ़ावा देने की दिशा में है। इस फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि अब किसी भी छात्र-छात्रा के पसंद के अनुसार नहीं, बल्कि एक निश्चित यूनिफॉर्म में सभी कॉलेज जाएंगे।

पैंट और शर्ट में जाए काॅलेज

छात्रों को पैंट-शर्ट और छात्राओं को सलवार-कुर्ता पहनना होगा। इस यूनिफॉर्म के अंतर्गत, विभिन्न आर्थिक स्थितियों और समाजिक परिस्थितियों में रहने वाले छात्र-छात्राओं के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा। इसके साथ ही, यह एक संवेदनशील परिवेश भी बनाएगा जहां शिक्षा के प्रति रुचि और स्थिरता बढ़ाई जा सकती है।

अर्थिक और सामजिक भेदभाव कम होगा

उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इस निर्णय को लेकर बताया कि इससे छात्रों के बीच अदालतीकरण और सामाजिक रूप से व्याप्त भेदभाव को कम किया जा सकता है। विभाग ने यूनिफॉर्म के रंग को तय करने का जिम्मेदारी कॉलेज प्रबंधन पर छोड़ दिया है, जिससे कि यह रंग छात्र-छात्राओं के जनभागीदारी समिति के साथ मिलकर चुना जा सके। वही इंदर सिंह परमार ने प्रदेश भर के मदरसों को लेकर कहा है कि जो मदरसे सरकारी पोर्टल पर दर्ज है, वहीं चलेंगे, जो नहीं है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इंदौर में 2 लाख 40 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स की नहीं आयी स्काॅलरशिप, स्कूल प्रबंधन और शिक्षा की गलतियों का खामियाजा भुगत रहे स्टूडेंट्स

सरकारी स्कूलों के जिम्मेदारों की लापरवाही और पोर्टल के सही तरीके से काम नहीं करने के चलते इंदौर जिले के 2.40 लाख से अधिक विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप अटक गई है। 2023-24 का सत्र खत्म होने को है और अब तक पहली से 12वीं तक के आरक्षित वर्ग के स्टूडेंट्स के खातों में एक रुपए भी स्कॉलरशिप के जमा नहीं हुए हैं। जबकि सरकार इसके लिए 17 लाख 77 हजार रुपए से अधिक की राशि स्वीकृत भी कर चुका है। विभागीय लापरवाही और तकनीकी खामी के चलते छात्रों के परिजनों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्कॉलरशिप के लिए कागजी प्रक्रिया फरवरी की शुरुआत तक पूरी होना थी, जो अब भी अधूरी है। अब 15 मार्च अंतिम तिथि बताई गई है। यदि इस तारीख तक सभी की जानकारी पूरी नहीं दी जाती है तो सभी की स्काॅलरशिप अटक जाएगी।

नए पोर्टल पर नहीं बन रही प्रोफाइल

9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए इस साल प्रदेश सरकार ने टीएसएस पोर्टल (एमपी ट्राइबल अफेयर्स एंड शेड्यूल कास्ट वेलफेयर ऑटोमेशन सिस्टम) बनाया है। इस पर एक बार अकाउंट बनाने के बाद हर साल छात्रों को अकाउंट नहीं बनाना होगा। लेकिन इस नए पोर्टल पर जिले के 9वीं से 12वीं तक के 47 हजार 111 स्टूडेंट्स में से महज 19 हजार 463 की ही प्रोफाइल बनी है। सिर्फ 10 हजार 566 ने स्कॉलरशिप के लिए अप्लाई किया है। उनमें भी विभाग ने 9 हजार 478 प्रोफाइल वेरिफाई कर अप्रूव्ड किया है।

समग्र पोर्टल नहीं कर रहा काम

1 से 8वी तक स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप समग्र पोर्टल अपडेट हो रही हो, लेकिन उनकी स्कॉलरशिप की प्रक्रिया भी बेहद धीमी है। पोर्टल पर 2 लाख 28 हजार 518 की प्रोफाइल अप्रूव्ड हो सकी है। लेकिन उनके खाते में अब तक कोई पैसा ट्रांसफर नहीं हो सका है।

स्कूलों की लापरवाही भी बड़ी वजह

स्कॉलरशिप नहीं मिलने के पीछे बड़ी वजह सरकारी स्कूलों की लापरवाही है। कई छात्रों के खाते नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से नहीं जोड़े गए हैं। कुछ खाते पुराने और लेनदेन न होने कारण बंद हैं। वहीं किसी के समग्र आईडी, जाति प्रमाण पत्र एवं आधार कार्ड में जन्मतिथि का नहीं मिलाना नहीं किया गया है। स्कूलों की जिम्मेदारी है कि बैंकों से समन्वय कर खातों को लिंक कराएं, लेकिन ऐसा नहीं किया गया ।

वही इसको शहर के जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास ने कहा कि पोर्टल नहीं चलने के कारण स्टूडेंट्स की स्कॉलरशिप अटकी हुई है। कई स्कूलों ने समय पर दस्तावेज भी पूरे नहीं किए गए, उससे भी देरी हो रही है। इसे लेकर तेजी से काम किया जा रहा है। भोपाल से स्वीकृति मिलते ही जल्दी स्टूडेंट्स के खातों में स्कॉलरशिप की राशि डाली जाएगी।