दो राजनीतिक दल ने इंदौर में ईवीएम को बताया गलत, पूरी मीडिया के सामने बटन दवाई केले के चिन्ह की, बीबीपैट से पर्ची निकली सेव के चिन्ह की
इंदौर। सोशलिस्ट पार्टी इंडिया और राइट टू रिकॉल पार्टी की पत्रकार वार्ताई.वी.एम. भरोसेमंद नहीं, मतपत्र से ही मतदान होना चाहिएईवीएम से हो रही है मत पत्रों की लूट, वोट डाला किसे, मिला किसे इसे प्रत्यक्ष प्रदर्शित किया दोनों दलों के नताओं ने एक प्रेस वार्ता में सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव और मैग्सेसे अवार्ड संदीप पांडे ए सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामबाबू अग्रवाल एवं प्रदेश अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री व ईवीएम हटाओ सेना व राइट टू रिकाल पार्टी के भीलवाड़ा, राजस्थान से आए पवन कुमार शर्मा ने एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रदर्शन कर यह दिखाया कि दो बार लगातार केला चिन्ह पर बटन दबाने पर दोनों बार काले शीशे वाली वी.वी.पी.ए.टी. मशीन में दिखा तो केला ही लेकिन प्रिंटर के अंदर एक पर्ची केला की छपी और दूसरी सेब की। यह मशीन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के इंजीनियर और अमरीका से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल किए हुए अहमदाबाद के रहने वाले राहुल चिमनभाई मेहता ने बनाई है । जो खुद ई.वी.एम. हटाओ सेना व राइट टू रिकाल पार्टी से भी जुड़ हुए हैं।
ईवीएम का लाइव प्रदर्शन किया
पवन कुमार शर्मा ने इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकारों के सामने डमी ईवीएम मशीन का लाइव प्रदर्शन करते हुए बताया कि ईवीएम में किस तरह मत पत्रों की लूट हो रही है उन्होंने ईवीएम मशीन पर मतदान कर बताया कि वोट बनाना को दिया गया और बाद में जब पर्ची निकली तो चार वोट में से दो वोट सेवफल को और एक तरबूज को तथा एक वोट ही बनाना को मिला। उन्होंने इसकी पर्ची निकाल कर भी बताई।
उन्होंने कहा कि केवल बीवी पेट की परची को गिनने से ही मत पत्रों की लूट को रोका नहीं जा सकता, बल्कि मत पेपर से मतदान कराए जाने से ही मत पत्रों की लूट को रोका का जा सकता है। इसके लिए सोशलिस्ट पार्टी और राइट टू रिकॉल पार्टी मिलकर पूरे देश भर में अभियान चला रही है और जहां चुनाव आयोग को पोस्टकार्ड लिखे जा रहे हैं। वहीं मतदाताओं के लिए मत पत्र से या ईवीएम मशीन से वोट देने का अधिकार एच्छिक किए जाने की भी मांग की जा रही है।
वोट डालने के पहले ही पर्ची छ्प जाती है
उन्होंने कहा कि अहमदाबाद के इंजीनियर ने यह मशीन बनाई है और यह मशीन मत पत्रों की लूट को दिखाती है कि ई.वी.एम. से आसानी से मत लूटे जा सकते हैं। यदि दूसरा मतदाता भी केला को ही मत देता है तो उसे भी 7 सेकेंड के लिए वी.वी.पी.ए.टी. में पहले वाले ही मतदाता की केला की पर्ची दिखाई पड़ेगी। किंतु रोशनी बुझने पर तीसरे मतदाता के आने से पहले ही प्रिंटर सेब छाप देगा। यह न तो मतदाता को पता चलेगा न ही किसी वहां मौजूद अधिकारी को। अधिकारी भी काले शीशे वाली वी.वी.पी.ए.टीे. मशीन से अनभिज्ञ हैं।
नेताओं ने कहा कि इस प्रदर्शन का उद्देश्य मात्र इतना है कि ई.वी.एम. के बारे में भारत का निर्वाचन आयोग जो दावे कर रहा है कि ई.वी.एम. में कोई गड़बडी नहीं हो सकती हम उसको गलत साबित कर रहे हैं। जो लोग वी.वी.पी.ए.टी. की 100 प्रतिशत पर्चियां गिनने की बात कर रहे हैं वे भी समझ लें कि उसमें भी गड़बड़ी की सम्भावना है। पर्चियां तो वी.वी.पी.ए.टी. की उतनी ही गिनी जाएंगी जितने ई.वी.एम. पर बटन दबे। लेकिन यह किसे मालूम कि किस निशान पर कितने मत पड़े?
वी.वी.पी.ए.टी. की पर्ची जबतक मतदाता के हाथ में नहीं दी जाती और वह उसे सादे डिब्बे में नहीं डालता जिसका कोई बिजली का कनेक्शन न हा,े और फिर ये पर्चियां गिनी जाएं तभी इस बात की गारंटी है कि कोई गड़बड़ी नहीं होगी। लेकिन ऐसा करने से बहुत आसान है मतपत्र से मतदान कर सीधे मतपत्र ही गिन लेना।