Wed. Oct 16th, 2024

केंद्रीय जेल में कैदियों से मिलने पर वसूले जा रहे रुपये, युवक ने बनाया वीडियो, जेल-प्रशासन में मचा हड़कंप

ग्वालियर। एमपी में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। ऐसा इसलिए कह रहे है क्योंकि यहां कैदियों से मिलने आए परिजनों से भी पैसे वसूले जा रहे है ताजा मामला ग्वालियर के केंद्रीय जेल का है जिसका एक वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में युवक जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि वीडियो सामने आने के बाद जेल-प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।

कैदियों से मुलाकात के नाम पर वसूले जा रहे रुपये

एक तरफ जहां जेल – प्रशासन तरह-तरह के लाख दावे करता है तो वहीं दूसरी तरफ इस वायरल वीडियो ने उन तमाम दावों की पोल खोल दी है। युवक ने 1.57 मिनट का लाइव वीडियो बनाया है जिसमें वो कैमरे के सामने आकर बता रहा है कि वो अभी सेंट्रल जेल ग्वालियर में है और उससे कैदियों से मिलने के लिए रिश्वत की मांग की जा रही है। बावजूद इसके उसने अपने साथी का रिश्वत देते हुए भी वीडियो बनाया और फिर उसने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। Video Viral होने के बाद जेल प्रहरी को निलंबित कर दिया गया है साथ ही जांच के आदेश भी दिए गए हैं।

पूरे मामले की जांच जारी है

यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही ग्वालियर से लेकर भोपाल तक जेल विभाग में हड़कंप मच गया है। मामले को लेकर केंद्रीय जेल ग्वालियर के जेलर ए एस नरवरिया ने बताया कि इसके बारे में अभी तक कोई शिकायत नहीं आई है लेकिन वीडियो में दिख रहे जेल प्रहरी की पहचान सतेंद्र हरषाना के रूप में हुई है, उसे तुरंत निलंबित कर दिया गया है। साथ ही पूरे मामले की जांच भी कराई जा रही है।

1 करोड़ से ज्यादा के 180 फ़र्ज़ी बिल पास, 5 सीएमओ पर केस दर्ज

मुरैना के कैलारस नगर परिषद में अधिकारियों और फ़र्ज़ी कर्मचारी की साँठ गाँठ का खुलासा ग्वालियर ईओडब्ल्यू ने किया है। 2020 से 2022 तक नगर परिषद के अधिकारियों ने मिलकर 1 करोड़ 41 लाख 75 हज़ार रुपए के 180 फ़र्ज़ी बिल पास कर दिए। जिसपर अब ईओडब्ल्यू ने पुराने 5 सीएमओ और कर्मचारियों पर केस दर्ज किया है।

ना कोई रिकॉर्ड ना सामग्री आई परिषद में

इस मामले में नगर निगम से आम आदमी पार्टी के पार्षद रमेश उपाध्याय, निवासी केशव नगर कालोनी की शिकायत के बाद 7 फरवरी 2023 को ग्वालियर ईओडब्ल्यू ने मामला पंजीबद्ध किया और इसकी जांच टीआइ डा. जयसिंह यादव ने की, जिसमें बताया गया है, कि दो साल में 180 फर्जी बिल वाउचरों का स्टोर रजिस्टर में रिकार्ड नहीं मिला है। इतना ही नहीं है इन बिलों की कोई सामग्री न तो नगर परिषद में कभी आई और ना ही ऐसी सामग्री का कहीं उपयोग हुआ है।

घोटाले का मास्टरमाइंड स्टोरकीपर ही फ़र्ज़ी निकला

जाँच अधिकारी तो दंग रहे गए जब उन्हें पता चला कि इस घोटाले का मास्टरमाइंड कोई अधिकारी नहीं बल्कि स्टोरकीपर शिवकुमार शर्मा है वो भी फ़र्ज़ी। जांच में बताया गया है, कि शिवकुमार शर्मा नगर सुधार न्यास मुरैना में 1989 में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के तौर पर नियुक्त हुआ और हाईकोर्ट में याचिका लगाने के बाद 1994 में पुन: दैवेभो कर्मचारी के तौर पर बहाली की गई।
शिवकुमार शर्मा आज तक नियमित नहीं हुआ, लेकिन फर्जी कागजात बनाकर खुद को नियमित कर्मचारी बना लिया और मुरैना से कैलारस नपा में तबादला करा लिया। ईओडब्ल्यू की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया है, कि शिवकुमार शर्मा ने ही पांच सीएमओ व अन्य अधिकारियों से मिलकर दो साल में 1.41 करोड़ का खरीदी घोटाला किया है। इसके अलावा सालों से नियमित कर्मचारी का वेतन लेकर सरकार से भी वेतन के नाम पर फर्जीवाड़ा किया है।

5 सीएमओ, दो लेखपाल पर भी केस दर्ज

2020 से 2022 तक पदस्थ रहे सीएमओ संतोष शर्मा, अमजद गनी, संतोष सिहारे, रामवरण राजौरिया, अतरसिंह रावत के अलावा तत्कालीन लेखापाल अकाउंटेंट देवप्रकाश शर्मा एवं लक्ष्मण सिंह के अलावा टाइमकीपर शिवकुमार शर्मा के खिलाफ आइपीसी की धारा 409, 420, 468, 471, 120-बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की तीन अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया गया है।