दिल्ली पहुंच रहे हजारों किसान, लेकिन इस बार आंदोलन से दूर क्यों हैं राकेश टिकैत?
हरियाणा और पजांब से हजारों किसान दिल्ली की ओर अपनी मांगों को लेकर पहुंच रहे हैं। किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने के लिए चप्पे-चप्पे पर सैनिकों और पुलिस को तैनात किया गया है। इसके अलावा और भी कई इन्तजाम किए गए हैं। लेकिन इस बार के किसान आंदोलन में राकेश टिकैत कही नजर नहीं आ रहे हैं, जो किसान के यूनियन हैं।
किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की गारंटी दी जाए। लेकिन किसानों को रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं को सील कर दिया गया हैं। इसी बीच, किसान आंदोलन को लेकर भारतीय किसान यूनियन के नेता ने प्रतिक्रिया दी हैं। जिस प्रकार 2020 में हुए किसान आंदोलन में किसानों ने बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया था उसी तरह इस बार भी बडी भारी मात्रा में किसान भाग ले रहे हैं।
कहां हैं टिकैत और गुरनाम सिंह चढ़ूनी जैसे नेता
इसी बीच सवाल उठ रहा है साल 2020 के किसान आंदोलन में राकेश टिकैत की मुख्य भूमिका वाले किसान नेता कहां है। इस आंदोलन से दूरी पर बीकेयू नेता ने बयान दिया है। राकेश टिकैत ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘ये मार्चे को किसान यूनियन ने बुलाया है। अगर उनके साथ कुछ अन्याय होगा, तो देश उनके साथ है। ना हमसे किसान दूर है और ना ही दिल्ली दूर है। सबकी मांगें एक हैं। कर्जा माफी, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करना, एमएसपी गारंटी कानून, फसलों के दाम ये किसानों की मांगें हैं।’
साल 2020 में किया था प्रतिनिधित्व
नवंबर 2020 में सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधित्व के लिए मोर्चा हुआ था, और इस गठन में गुरनाम सिंह चढ़ूनी, जोगिंदर सिंह राजेवाल, दर्शनपाल जैसे नेता शामिल थे। और इसके अलावा राकेश टिकैत भी गाजीपुर बॉर्डर पर लगे हुए मोर्चे का नेतृत्व कर रहे थे। सरकार और संयुक्त किसान के बीच 11 राउंड की बातचीत के बाद कृषि कानून वापस हो गए थे। और इसके बाद सारे किसान अपने-अपने घर वापस लौट गए।
बात तब बिगड़ी, जब 2022 में चुनाव आए और किसानों के एक गुट ने चुनाव लड़ा, वो चाहते थे कि आम आदमी पार्टी से गठबंधन हो जाए, वही दूसरा गुट चाहता था की दूर ही रहे। और फिर अंतिम में बलवीर सिंह राजेवाल के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा बना और 93 सीटों से चुनाव लड़े। हालांकि जमानत ही जब्त हो गई। फिर भी मतभेद खत्म नहीं हुए।