75वीं बार रंगपंचमी पर निकली रंगों से सराबोर गैर, 6 लाख से ज्यादा लोग हुए शामिल, जानिए 75 साल का इतिहास
मप्र के इंदौर की गेर केवल प्रदेश और देश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में भी प्रसिद्ध है। रंगपंचमी पर निकलने वाली गेर में लाखों लोग एक साथ होली मनाते हुए एक-दूसरे को रंग गुलाल लगाते हुए नजर आए, फिर वह चाहे उनका परिचित हो या ना हो। इस बार गैर में 6 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए। होलकर शासन काल से शुरू हुआ गेर का यह सिलसिला 75 वर्ष पूरा कर चुका है। इसको पारिवारिक स्वरूप स्व. लक्ष्मण सिंह गौड़ के द्वारा 26 साल पहले राधाकृष्ण फाग यात्रा निकाल कर दिया गया।
चाय पीते पीते बनी गेर निकालने की योजना
टोरी कार्नर गेर के संयोजक शेखर गिरि बताते हैं कि पहले यहाँ लोग चाय पीते हुए पूरे शहर की जानकारी साझा किया करते थे, आकाशवाणी केंद्र होने से लोग समाचार के लिए आते थे तब हम लोगो ने ने रंगों से भरा कढ़ाव लगाना शुरू किया, जिसमें लोगों को डुबोया जाने लगा। इसके बाद लोग रंगभरी बाल्टियां लेकर राजवाड़ा पर इकट्ठा होने लगे और इस तरह शहर की सबसे पुरानी गेर निकलना शुरू हुई।
हाथी-घोड़ों को साथ लेकर संगम कॉर्नर ने शुरू की नई प्रथा
संगम कॉर्नर ने गेर में 70 साल पहले हाथी-घोड़ो को शामिल कर एक नई प्रथा शुरू की। संगम कॉर्नर से जुड़े हेमन्त खंडेलवाल ने बताया कि इसकी शुरुआत नाथूराम खंडेलवाल जी ने बिना किसी बाहरी सहयोग के की थी पर समय के साथ राजनीतिकरण होने से हुड़दंग होने लगी थी।
परिवारिक स्वरूप देकर नया रूप दिया था
लक्ष्मण सिंह ने हुड़दंग होने के बाद स्व. लक्ष्मण सिंह गौड़ ने नृसिंह बाजार से 26 साल पहले राधाकृष्ण फाग यात्रा से शुरू की। इसमें यात्रा का धार्मिक और शालीन स्वरूप देकर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना शुरू की गई। संयोजक एकलव्य सिंह गौड़ बताया कि एक बार फिर रंगपंचमी पर यात्रा अपने स्वरूप में निकलेगी। इस बार फिर परिवार के साथ शामिल महिला के लिए विशेष सुरक्षा घेरा चलेगा। इसके साथ खास बात अयोध्या में बना राम मंदिर की प्रतिकृति आकर्षण का केंद्र बनेगा