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पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का विवादित बयान, हवस के पुजारी ही क्यों, पादरी या मौलाना क्यों नहीं

मध्यप्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान के कारण सुर्खियों में आ गए हैं। हाल ही में उन्होंने “हवस के पादरी” और “हवस के मौलाना” जैसी टिप्पणियां की थीं, जिसके बाद धर्मगुरुओं के बीच नाराजगी का माहौल बन गया है।

पंडित शास्त्री ने दी सफाई

मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने अपने बयान को स्पष्ट किया और कहा कि उनका उद्देश्य किसी धर्म या मजहब को अपमानित करना नहीं था। उन्होंने कहा, “मैंने किसी धर्मगुरु का अपमान नहीं किया। यह बयान सिर्फ सनातनियों को जागरूक करने के लिए दिया था। जब हवस का पुजारी कहा जा सकता है, तो हवस का पादरी या मौलाना क्यों नहीं?”

‘बुरा लगने वालों को फर्क नहीं पड़ना चाहिए’

धर्मगुरुओं द्वारा नाराजगी जताने पर पंडित शास्त्री ने कहा, “जिन्हें बुरा लग रहा है, उन्हें लग जाने दो। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरा उद्देश्य किसी धर्म के अनुयायियों को ठेस पहुंचाना नहीं था, बल्कि समाज को सच्चाई से रूबरू कराना था। अगर इससे किसी को दिक्कत होती है, तो यह उनकी अपनी सोच है।”

साधु-संतों पर लगे आरोपों का दिया जवाब

पंडित शास्त्री ने एक अंसारी नेता के बयान का भी जिक्र किया, जिसमें साधु-संतों पर गांजा पीने का आरोप लगाया गया था। इस पर उन्होंने कहा, “सभी साधु-संत एक जैसे नहीं होते। अगर कुछ साधु गलत काम करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि सभी साधु गलत हैं। इसी तरह, एक अंसारी आतंकवादी था, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि सभी अंसारी आतंकवादी हैं।”

‘किसी धर्म के खिलाफ नहीं हूं’

आखिर में, पंडित शास्त्री ने कहा, “मैं किसी भी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं हूं। मेरा उद्देश्य सिर्फ समाज को सही दिशा दिखाना है। लेकिन अगर फिर भी किसी को मेरे बयान से आपत्ति है, तो उन्हें बुरा लगने का हक है, पर इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।” इस पूरे विवाद के बाद भी पंडित धीरेन्द्र शास्त्री अपने बयान पर कायम हैं और इसे सनातन धर्म के अनुयायियों को जागरूक करने के उद्देश्य से दिए गए संदेश के रूप में देख रहे हैं।

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