Kargil war भारतीय इतिहास में वीरता, साहस और बलिदान की एक अविस्मरणीय दास्तान है। इस युद्ध ने कई वीर जवानों को जन्म दिया, जिन्होंने अपने अदम्य साहस से देश की रक्षा की। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है कैप्टन विक्रम बत्रा की, जिन्हें उनके अदम्य शौर्य और वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
शेरशाह से नाम पुकारते
कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें उनके साथी प्यार से “शेरशाह” के नाम से पुकारते थे, 13 जम्मू और कश्मीर राइफल्स का हिस्सा थे। ऑपरेशन विजय के दौरान, उन्हें Kargil सेक्टर में 5140 चोटी को पाकिस्तानी घुसपैठियों से मुक्त कराने का जिम्मा सौंपा गया था। यह चोटी सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण थी, और दुश्मनों ने वहां मजबूत स्थिति बना ली थी। कैप्टन बत्रा ने अपने साथियों के साथ मिलकर कठिन परिस्थितियों में इस चुनौती को स्वीकार किया।
4 जुलाई, 1999 की रात को कैप्टन बत्रा ने अपने साथियों के साथ 5140 चोटी पर चढ़ाई शुरू की। इस दौरान दुश्मनों ने भारी गोलीबारी की, लेकिन कैप्टन बत्रा ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपने साथियों का मनोबल बढ़ाया। वे दुश्मनों की गोलियों की परवाह किए बिना आगे बढ़ते रहे। जब वे दुश्मनों के बंकर के करीब पहुंचे, तो उन्होंने अपने साथियों को कवर फायर देने का आदेश दिया और खुद आगे बढ़कर ग्रेनेड फेंककर दुश्मनों के बंकर को ध्वस्त कर दिया। इस अदम्य साहसिक कार्य से भारतीय सेना ने 5140 चोटी पर कब्जा कर लिया।
Kargil war में कैप्टन बत्रा की वीरता यहीं खत्म नहीं होती
7 जुलाई, 1999 को उन्हें फिर से एक महत्वपूर्ण मिशन पर भेजा गया। इस बार लक्ष्य था 4875 चोटी, जिसे बाद में “बत्रा टॉप” के नाम से जाना जाने लगा। इस मिशन के दौरान, कैप्टन बत्रा और उनकी टीम ने दुश्मनों के कड़े प्रतिरोध का सामना किया। इस अभियान में, कैप्टन बत्रा ने अपने एक घायल साथी की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की और दुश्मनों के बंकर पर सीधा हमला किया। उन्होंने अपने अदम्य साहस और शौर्य से दुश्मनों को परास्त किया, लेकिन दुर्भाग्यवश इस लड़ाई में वे वीरगति को प्राप्त हुए।
उनकी बहादुरी से पूरा देश गौरन्वित
कैप्टन विक्रम बत्रा की इस अदम्य हिम्मत और वीरता की कहानी ने पूरे देश को गर्व से भर दिया। उनकी बहादुरी ने भारतीय सेना के जवानों के मनोबल को बढ़ाया और देशवासियों के दिलों में अटूट श्रद्धा और सम्मान पैदा किया। उनके बलिदान ने यह साबित कर दिया कि देश की रक्षा के लिए हमारे सैनिक किसी भी हद तक जा सकते हैं।कैप्टन बत्रा का नाम भारतीय सेना की वीरता और साहस की प्रतीक बन गया है। उनके बलिदान और साहसिक कार्यों को याद करते हुए हर भारतीय गर्व महसूस करता है। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि देश की रक्षा के लिए हमारे सैनिक किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं और अपने अदम्य साहस से दुश्मनों को परास्त कर देते हैं।
Kargil war की यह कहानी भारतीय सेना की वीरता और बलिदान की अनगिनत कहानियों में से एक है, जो हमें हमेशा याद दिलाती है कि हमारे सैनिकों का साहस और बलिदान हमें सुरक्षित और स्वतंत्र जीवन जीने का अवसर देता है।