मंगलवार को लोकसभा चुनाव के नतीजे जारी हुए। इन नतीजों में इंदौर में शंकर लालवानी ने सबसे ज्यादा 12 लाख 26 हजार 751 वोटों से जीत दर्ज की। जो कि पूरे देश में सबसे बड़ी जीत है। लेकिन पूरे देश में शंकर लालवानी की जीत से ज्यादा चर्चा नोटा की रही। जहां शहर में 2 लाख 18 हजार से ज्यादा लोगों ने नोटा बटन दबाया। जो न सिर्फ प्रदेश में बल्कि पूरे देश में सबसे ज्यादा है। यह अब तक चुनाव इतिहास में नोटा को मिले सबसे ज्यादा वोट है। जिसके कारण इंदौर में इलेक्शन कमीशन ने शंकर लालवानी को किसी प्रत्याशी से नहीं बल्कि नोटा से मुकाबले में जीत दिलवाई।
इंदौर 35 साल से भाजपा का अभेद किला
इंदौर लोकसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने वर्ष 1989 में पहली बार कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रकाशचंद सेठी को परास्त कर भाजपा के लिए सीट जीती थी। उसके बाद वे यहां से लगातार आठ बार सांसद रहीं। वर्ष 2019 में भाजपा ने यहां से शंकर लालवानी को मैदान में उतारा था। तब शंकर लालवानी ने पांच लाख 47 हजार वोटों से बड़ी जीत दर्ज की थी।
कांग्रेस प्रत्याशी हो गया था बीजेपी में शामिल
वही आपको बता दें कि इंदौर में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने चुनाव से ठीक पहले नामांकन वापस ले लिया था। इस वजह से कांग्रेस इंदौर में चुनाव नहीं लड़ पाई। कांग्रेस ने जनता से अपील की थी कि नोटा पर वोट दे और अपना विरोध दर्ज करवाए।